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नेपाल की राजनीति में तख्तापलट और हिंसा: भारत-नेपाल संबंधों पर बढ़ती चुनौतियाँ - सुजीत यादव

Ghazipur News: नेपाल, जो केवल भारत का पड़ोसी देश ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी गहरे संबंध रखता है, एक बार फिर राजनीति...

Ghazipur News: नेपाल, जो केवल भारत का पड़ोसी देश ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी गहरे संबंध रखता है, एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता की चपेट में है। हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली की सरकार का अचानक पतन और उसके बाद हुई हिंसक घटनाओं ने लोकतंत्र की जड़ों पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।

गाजीपुर के समाजसेवी और राजनीतिक विश्लेषक सुजीत यादव ने अपने लेख में नेपाल की मौजूदा परिस्थितियों और भारत-नेपाल संबंधों पर प्रकाश डाला है।

नेपाल की राजनीति में तख्तापलट और हिंसा: भारत-नेपाल संबंधों पर बढ़ती चुनौतियाँ - सुजीत यादव, Purvanchal Samachar, image
Purvanchal Samachar 

नेपाल का संक्षिप्त इतिहास

नेपाल का गौरवशाली इतिहास भगवान बुद्ध की जन्मभूमि लुंबिनी और माता सीता की नगरी जनकपुर से जुड़ा है। 18वीं शताब्दी में गोरखा राजा पृथ्वीनारायण शाह ने नेपाल का एकीकरण किया।

  • 1990 में जन आंदोलन के बाद संवैधानिक राजतंत्र स्थापित हुआ।
  • 2008 में राजशाही समाप्त कर नेपाल को संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया।

तख्तापलट की परंपरा


नेपाल की राजनीति शुरू से ही अस्थिर रही है।

  • 1960 में राजा महेंद्र ने संसद भंग कर पंचायती व्यवस्था लागू की।
  • 2005 में राजा ज्ञानेन्द्र ने निर्वाचित सरकार को हटाकर सत्ता अपने हाथ में ले ली।
  • माओवादी विद्रोह, राजमहल हत्याकांड और लगातार बदलती सरकारों ने नेपाल को स्थिर शासन से वंचित रखा।
Ca dhanajay Tiwari purvanchal samachar, image

ओली सरकार का पतन और हालिया हिंसा

हाल ही में संसद में समर्थन खोने के बाद ओली सरकार गिर गई, जिसे एक और तख्तापलट माना जा रहा है। इस घटना के बाद काठमांडू समेत कई शहरों में हिंसक झड़पें, आगजनी और तोड़फोड़ हुई। सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव ने अराजकता का माहौल बना दिया। जनता एक स्थिर और पारदर्शी शासन की उम्मीद कर रही है, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता लोकतंत्र की नींव कमजोर कर रही है।

भारत-नेपाल के सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्ते

भारत और नेपाल का संबंध सिर्फ भौगोलिक निकटता तक सीमित नहीं है।

  • सांस्कृतिक जुड़ाव: पशुपतिनाथ मंदिर, जनकपुर की परंपरा और लुंबिनी का महत्व दोनों देशों को जोड़ते हैं।
  • व्यापारिक सहयोग: भारत, नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। अधिकांश आपूर्ति भारत से ही होती है।
  • खुली सीमा: दोनों देशों के नागरिक आसानी से आवाजाही कर पाते हैं।

हालाँकि नक्शा विवाद और चीन की बढ़ती दखलंदाजी समय-समय पर रिश्तों में तनाव पैदा करती रही है।

भारत के लिए नेपाल की स्थिरता क्यों जरूरी?

नेपाल की राजनीतिक स्थिरता भारत के हित में है। दोनों देशों के बीच केवल कूटनीतिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और पारिवारिक रिश्ते भी हैं। ऐसे में भारत को नेपाल की लोकतांत्रिक स्थिरता और विकास में सहयोगी भूमिका निभानी चाहिए।